श्री पार्वती पूजन

अक्षत पुष्प हाथ में ले कर मन्त्रोच्चारण करें

ध्यान

नमस्कार

आवाहन

हिमाद्रितनयां देवीं वरदां शंकरप्रियाम् .
लम्बोदरस्य जननीं पार्वतीं आवाहयाम्यहम् ||

हिमालय पर्वत की पुत्री, वर देने वाली देवी, शंकर की प्रिया (पत्नी) , लम्बे उदर वाले (गणेशजी) की माता पार्वती (पार्वतीजी) , (हम) आपका आवाहन करते हैं .

अक्षत पुष्प अम्बिका पार्वती के सन्मुख रख दीजिये .

प्रार्थना/स्तुति

नमस्कार 

आसनम् 
ॐ पार्वति देव्यै नमः . आसनं समर्पयामि ||

ॐ पार्वति देव्यै नमः कहते हुए आसन पर पुष्प से अक्षत छोडें . 


पाद्यम् 

ॐ पार्वति देव्यै नमः . पाद्यं समर्पयामि ||

ॐ पार्वति देव्यै नमः कहते हुए चरण धोने के लिये जल चरणों पर छिडकें .

अर्घ्यम्
ॐ पार्वति देव्यै नमः . अर्घ्यं आचमनीयं च समर्पयामि ||

ॐ पार्वति देव्यै नमः कहते हुए पुष्प से अर्घ्य के लिये जल चढ़ायें तत्पश्चात् मुख धोने के लिये पुष्प से जल छिडकें .
आचमनीयम्

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . अर्घ्यं पाद्यं स्नानं च आचमनीयं जलं समर्पयामि .

ॐ भूर्भुव: स्व: माता पार्वती देवी को नमस्कार है . अर्घ्य के लिये, चरण धोने के लिये और स्नान के लिये जल समर्पित है .

पुष्प से अथवा आचमनी से तीन बार जल चढ़ायें . ऐसा भाव रखें कि माँ के चरण धो रहे हैं एवं स्नान करा रहे हैं .
हाथ में पुष्प व अक्षत लेकर प्रार्थना करें .

पुष्प व अक्षत छोडें . 

स्नानं 


ॐ पार्वति देव्यै नमः . स्नानं समर्पयामि .

ॐ पार्वति देव्यै नमः कहते हुए स्नान कराने की भावना से पुष्प से जल छिडकें .
ॐ पार्वति देव्यै नमः . दुग्ध, दधि, घृत, मधु, शर्करा स्नानं च समर्पयामि .
ॐ पार्वति देव्यै नमः . पञ्चामृत स्नानं समर्पयामि .


पञ्चामृतं मयानीतं पयोदधि समन्वितम् |
घृत मधु शर्करया स्नानार्थं प्रति गृह्यताम् ||

दूध, दधि, घृत, मधु व शर्करा से युक्त पञ्चामृत का स्नान गृहण करें .

पुष्प से पार्वती देवी  के ऊपर पञ्चामृत छिडकिये .



ॐ पार्वति देव्यै नमः . शुध्दोदक स्नानं समर्पयामि .

ॐ पार्वति देव्यै नमः . शुध्द जल का स्नान अर्पित है.

शुध्द जल छिडकें .  

वस्त्र उपवस्त्रं



ॐ पार्वति देव्यै नमः . वस्त्र उपवस्त्रं च समर्पयामि .

ॐ पार्वति देव्यै नमः . वस्त्र एवं उपवस्त्र अर्पित है .

रक्षासूत्र तोडकर एक बार वस्त्र के लिये, दुबारा उपवस्त्र के लिये चढ़ायें .

गन्धं चन्दनं

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . गन्धं सिन्दूरं च समर्पयामि .

ॐ भूर्भुव: स्व: माता पार्वती देवी को नमस्कार है . हम आपको रोली लगाते हैं और सिन्दूर चढ़ाते हैं .

माथे पर रोली लगायें . माँग पर सिन्दूर तीन या पाँच बार चढ़ायें . तर्जनी अंगुली को दूर रखें यानी रोली सिन्दूर तर्जनी से न छुले .

पुष्पं पुष्पमालां

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . पुष्पाणि समर्पयामि .

ॐ भूर्भुव: स्व: माता पार्वती देवी को नमस्कार है . पुष्प एवं पुष्पमाला समर्पित है .

पुष्पों को चढ़ायें और पुष्पमाला हो तो पहनावें .

धूपं दीपं

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . धूपं दीपं च दर्शयामि .

ॐ भूर्भुव: स्व: माता पार्वती देवी को नमस्कार है . धूप अथवा अगरबत्ती एवं दीपक दिखाते हैं .

धूप अथवा अगरबत्ती की ओर अक्षत छिडकें . दीपक की ओर अक्षत छिडकें . भाव रहे कि धूप सुँघा रहे हैं व दीपक से माँ की आरती कर रहे हैं .

नैवेद्यं

ॐ भूर्भुव: स्व: नैवेद्यं समर्पयामि . पार्वतीदेव्यै नम: ||

ॐ भूर्भुव: स्व: नैवेद्य अर्थात् प्रसाद समर्पित है . माता पार्वती देवी को नमस्कार है .

पुष्प से जल छिडकें . अलग पात्र में जो थोडा नैवेद्य रखा है उसको चढ़ायें . भाव रखें कि माँ पार्वती फल, मेवा एवं मिठाई पा रही हैं .

आचमनीयं

ॐ भूर्भुव: स्व: आचमनीयं जलं समर्पयामि . मुख शुध्दे पुन: आचमनीयं जलं समर्पयामि . पार्वतीदेव्यै नम: ||

ॐ भूर्भुव: स्व: पीने योग्य शुध्द जल अर्पित है . मुख की शुध्दि के लिये पुन: जल अर्पित है . माता पार्वती देवी को नमस्कार है .

आचमनी से जल चढ़ायें भाव रहे कि मां जल ग्रहण कर रही हैं . दुबारा मुँह की शुध्दि के लिये जल चडायें .

प्रार्थना/स्तुति
हाथ में फूल और अक्षत लेकर प्रार्थना करें

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . मम पूजां गृहाण .

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वती देवी को नमस्कार है . मेरी पूजा ग्रहण कीजिये .

अक्षत छोडते जाइये एवं भाव रखिये कि पार्वती देवी ने पूजा को स्वीकार किया और पूजा से प्रसन्न हो गयीँ .



नमस्कार

हाथ में पुष्प अक्षत ले कर, दोनों हाथ जोडे .



ॐ सर्व मंगल माण्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके . शरण्ये त्र्यम्बके पार्वती नारायणी नमोऽस्तुते ||

नारायणि . आप सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हैं . आप कल्याण करने वाली शिवा हैं . सब प्रकार के मनोरथों को सिध्द करने वाली हैं . शरणागत वत्सला तीन नयनों वाली पार्वती (माँ) आपको नमस्कार है .

अनया पूजया श्री गौर अम्बिके प्रीयतां न मम .

मेरे द्वारा यह पूजा की गयी है , हे माँ पार्वती आप मेरे ऊपर प्रसन्न होइये .

फूल और अक्षत माँ पार्वती के सन्मुख रख दें .





प्रार्थना

हाथ जोड कर ध्यान करें



देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखं .
रूपं देहि जयं देहि यशोदेहि द्विषो जहि ||

हे माँ . मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो. परम सुख दो,
जय दो, यश दो, और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ||

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वतीदेव्यै नम: . प्रार्थनां समर्पयामि ||

ॐ भूर्भुव: स्व: पार्वती देवी को नमस्कार है . प्रार्थना को अर्पित करते हैं . स्वीकार करिये .













महिषघ्नीं महादेवीं कुमारीं सिंहवाहिनीम् .
दानवांस्तर्जयन्तीं च सर्वकामदुघां शिवाम् ..

ध्यायामि मनसा दुर्गां नाभिमध्ये व्यवस्थिताम् .
आगच्छ वरदे देवि दैत्य दर्प्प निपातिनि ..

पूजां गृहाण सुमुखि नमस्ते शंकरप्रिये .
सर्वतीर्थमयं वारि सर्वदेवं समन्वितम् ..

इमं घटं समागच्छ तिष्ठ देवगणैः सह .
दुर्गे देवि समागच्छ सान्निध्यम् इह कल्पय ..


नाम पूजा

ॐ स्वर्ण गौर्यै नमः . ॐ महा गौर्यै नमः .
ॐ कात्यायिन्यै नमः .
ॐ कौमार्यै नमः .
ॐ भद्रायै नमः .

ॐ विष्णुसौन्दर्यै नमः .
ॐ मंगळदेवतायै नमः .
ॐ राकेन्दुवदनायै नमः .
ॐ चन्द्रशेखरपत्न्यै नमः .
ॐ विश्वेश्वरप्रियायै नमः .

ॐ दाक्षायण्यै नमः .
ॐ कृष्णवेण्यै नमः .
ॐ लोललोचनायै नमः .
ॐ भवान्यै नमः .
ॐ पंचकात्मजायै नमः .

ॐ श्री महा गौर्यै नमः .
ॐ महागौरी नाम पूजां समर्पयामि ..

स्तुति

जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गज बदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥
नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥

पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी॥
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥

एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥

आरती 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुम् को निस दिन् ध्यावत्,
मैयाजी को निस दिन् ध्यावत्
हरि ब्रह्मा शिव्जी
बोलो जय अम्बे गौरी ..

मांग् सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
मैया टीको मृग मद को
उज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी..

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी..

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारि
मैया खड्ग कृपाण धारि
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी..

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर धाती
मैया महिषासुर धाति
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी..

चण्ड मुण्ड सम्हार शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोव् मारे सुर भय दूर् करे
बोलो जय अम्बे गौरी..

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम् कमला राणी
मैया तुम कमला राणी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी..

चौसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरोम्
मैया नृतय करत भैरोम्
बाजत ताळ मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी..

तुम् हो जग की माता तुम् ही हो भर्ता
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी..

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारि
मैया वर मुद्रा धरी
मन वांछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी..

कंचन थाळ विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी..

मां अम्बे की आरती जो कोयी नर गावे
मैया जो कोयी नर गावे
कह्त शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी..

प्रार्थना

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके .
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ..

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ..

रूपं देहि यशो देहि देहि भगं भगवति देहि मे .
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामान् प्रदेहि मे ..