श्री गणपति पूजन

सब देवताओं के पूजन में सर्वप्रथम गणेशजी के पूजन का विशेष महत्व है क्योंकि गणेशजी पूजन के समय आनेवाले विघ्नों को भी दूर करते हैं . हाथ में पुष्प व अक्षत लेकर श्री गणपति का ध्यान और आवाहन करें .

श्रीगणपति ध्यान

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजंबूफलसारभक्षितम् .
उमासुतं शोकविनाशकारणं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ..

हाथी के मुखवाले, भूतगणो से सेवित, थोडा थोडा जम्बूफल (जामुन) का भोजन करने वाले, पार्वतीजी के पुत्र जो कि सब शोक (दु:ख) को दूर करनेवाले हैं उन विघ्नेश्वर (गणपति) को (जिनके) चरण कमल के समान हैं, नमस्कार करती हूँ .

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय .
लम्बोदराय सकलाय जगधिताय ..
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय .
गौरीसुताय गणनाथ नमोनमस्तुते ..

विघ्नों को दूर करनेवाले, वर (वाञ्छित फल) देने वाले, लम्बे (मोटे) पेट वाले, सारे संसार का मंगल (कल्याण) करने वाले, नागाननाय श्रुति यज्ञ में सुशोभित रहने वाले, पार्वती के पुत्र गणनाथ (गणपति) को नमस्कार है, नमस्कार है .

अक्षत व पुष्प गणेशजी के सम्मुख रख दें .

श्री गणपति आवाहन

भूर्भुव: स्व: .
श्री गणपति इहागच्छ इहातिष्ठ सुप्रतिष्ठो भव .
मम पूजां गृहाण .

ॐ भूर्भुव: स्व: गणपति यहाँ आइये, यहाँ बैठिये, सुप्रतिष्ठ होइये और मेरी पूजा को गृहण कीजिये .

मन्त्र कहते हुए पुष्प एवं अक्षत गणपति के सामने रख दें .

सप्तोपचार पूजन मन्त्र

आचमनीयं स्नानं जलं समर्पयामि .

आचमन और स्नान के लिये जल समर्पित है .

पुष्प से जल छिडकें .

वस्त्रं उपवस्त्रं समर्पयामि .

वस्त्र और उपवस्त्र समर्पित है .

रक्षासूत्र का ६ इन्च लम्बा टुकडा तोडकर चढ़ाएं . तत्पश्चात् पुन: रक्षासूत्र तोडकर चढ़ाएं . भाव ऐसा रहे कि गणपति महाराज को वस्त्र पहना रहे हैं .

गन्धं समर्पयामि .

रोली और हल्दी तिलक के लिये समर्पित है .

रोली हल्दी का तिलक लगा रहे हैं ऐसा भाव रखते हुए रोली और हल्दी छिडकें .

पुष्पाणि समर्पयामि .

पुष्प एवं पुष्पमाला समर्पित है .

पुष्पों को चढ़ायें और पुष्पमाला हो तो पहनावें .

धूपं दीपं दर्शयामि .

धूप अथवा अगरबत्ती एवं दीपक दिखाते हैं .

धूप अथवा अगरबत्ती जलावें . धूप अथवा अगरबत्ती की ओर अक्षत डाल कर भाव रखें कि धूप दिखा रहे हैं . दीपक की ओर अक्षत छिडक कर दीपक दिखाने का भाव रखें .

नैवेद्यं समर्पयामि .

नैवेद्य अर्थात् प्रसाद समर्पित है .

पुष्प से जल छिडकें . अलग पात्र में जो थोडा प्रसाद रखा है वह गणपति के सम्मुख रखें . भाव रखें कि भगवान गणपतिजी प्रसाद पा रहे हैं .

आचमनीयं समर्पयामि .

पीने के लिये शुध्द जल समर्पित है .

शुध्द जल २ बार चढ़ायें . भाव रखें कि गणेशजी जल पी रहे हैं .

नमन

सर्व विघ्न हरस्तस्मै श्रीमन्गणाधिपतये नम: .
श्री गणेशाय नम: .

(पूजन के समय) सब विघ्नओं को दूर करने वाले श्रीमान् महागणपतिजी को नमस्कार है .

श्रध्दापूर्वक नमस्कार करें .

प्रार्थना

दोनों हाथ जोड कर ध्यानपूर्वक प्रार्थना करें

वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ .
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ..

टेढ़ी सूँड वाले, विशाल शरीर वाले, करोडों सूर्य के समान आभा वाले (गणपति) देव मेरे सब कार्यों को हमेशा विघ्नों से रहित करिये .

सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक: .
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिप: .
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन: .
द्वादशैतानि नामानि : पठेच्छृणुयादपि .
विद्यारंभे विवाहे प्रवेशे निर्गमे तथा .
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य जायते ..

सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक ( हाथी के कानों वाले) , लम्बे उदर वाले, विकट यानी बडे शरीर वाले, विघ्नों का नाश करने वाले, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजाननन, इन बारह नामों को जो विद्या आरम्भ के समय, विवाह में, ( घर के ) बाहर जाते समय और ( घर में) आते समय, संग्राम में और संकट में पढ़ेगा अथवा सुनेगा उसको विघ्न पैदा नहीं होंगे अर्थात् उसके कार्य में कोई भी संकट नहीं आयेगा .

श्रीमन्गणाधिपतये नम: .
श्री गणेशाय नम: .

श्रीमान् महा गणपतिजी को नमस्कार है .

श्री गणेशजी के निमित्त अक्षत पुष्प छोडें . अर्थात् गणेशजी के सम्मुख अक्षत पुष्प रख दें .