संकल्प

हाथ में पुष्प अक्षत लेकर कुछ दक्षिणा स्वरूप द्रव्य भी लें तो उत्तम है .

विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: . परमात्मने श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्ध्दे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशति तमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गते ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौध्दावतारे वर्तमाने यथानाम संवत्सरे (२०५५ सन् १९९८) महामांगल्यप्रदे मासोत्तमे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे चतुर्थी तिथियौ दिनांक दिवस (वार) समय शुभयोगे शुभकरणे सकलशास्त्रश्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्ति काम: अहममात्मन: सर्वाभीष्टफलवाप्ति अहं (अपना नाम ) पत्नी (पति का नाम) श्री साम्बसदाशिव प्रीत्यर्थं गणपति गौराम्बिका, श्री नन्दीश्वर, श्री कार्तिकेय देवता पूजनं पूर्वकं श्री भवानीशंकर पूजनं श्री पार्वतीपूजनं करिष्यामि .

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: . ॐ परमात्मा श्री पुराणपुरुषोत्तम की आज्ञा द्वारा आज श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्ध में कलियुग के प्रथम चरण में जम्बूद्वीप में स्थित भारतवर्ष में संवत्सर २०५५ अंग्रे? आई सन् १९९८ के शुभकारी उत्तममास कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को जो दिनांक वार को है , संध्या के समय शुभ योग में सब शास्त्रों, श्रुति, स्मृति और पुराणों में वर्णित फल की प्राप्ति के लिये मैं (स्वयं का नाम) (पतिका नाम) की पत्नी, श्री साम्बसदाशिव को प्रसन्न करने के लिये गणपति और अम्बिकागौर का पूजन करके, नन्दीश्वर व श्री कार्तिकेय के पूजन के पश्चात् श्री भवानीशंकर और प्रधान देवी श्री माँ पार्वती का पूजन करूंगी .

जल अक्षत पुष्प और द्रव्य पृथ्वी पर रख दें . हाथ धो लें .

विशेष

शास्त्रों में संकल्प का बडा महत्व दर्शाया गया है . संकल्प द्वारा पूजक अपनी इच्छा अभिव्यक्त करता है . यदि यजमान (जिसे पूजन करना है ) के लिये पुरोहित पूजन कराये तो संकल्प का महत्व और भी बढ़ जाता है .